कमल हासन का सवाल: 'चेम्मीन' क्यों नहीं मानी गई एक पैन-इंडियन फिल्म

कमल हासन का सवाल: 'चेम्मीन' क्यों नहीं मानी गई एक पैन-इंडियन फिल्म नव॰, 7 2024

कमल हासन का विचार: 'चेम्मीन' और पैन-इंडियन सिनेमा

प्रसिद्ध अभिनेता और निर्माता कमल हासन ने एक प्रतिष्ठित मंच पर मलयालम फिल्म 'चेम्मीन' के बारे में एक महत्वपूर्ण सवाल प्रस्तुत किया। उनका प्रश्न था कि 'चेम्मीन' जैसी महान फिल्म को पैन-इंडियन फिल्म की तरह मान्यता क्यों नहीं मिली, जबकि यह कई अलग-अलग भाषाओं और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के लोगों द्वारा पसंद की गई थी। 'चेम्मीन', जो 1965 में रिलीज़ हुई थी, भारतीय सिनेमा के एक ऐसे युग का प्रतिनिधित्व करती है जब बिना अनुवाद या डबिंग के एक फिल्म को बहुत सराहना मिली।

क्या है पैन-इंडिया फिल्म की परिभाषा?

कमल हासन का तर्क था कि पैन-इंडिया शब्द नया नहीं है और भारतीय सिनेमा ने हमेशा से ऐसी फिल्में दी हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में समान रूप से सफल रही हैं। भारतीय सिनेमा में कई ऐसी फिल्में रही हैं जो ना केवल एक विशेष भाषा क्षेत्र तक सीमित रहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी अपने अभिनय और कथा के कारण प्रशंसा बटोरी। हासन ने उदाहरण के लिए 'मुगल-ए-आज़म' और 'पड़ोसन' का उल्लेख किया, जो हिंदी फिल्म उद्योग के सुजला कीर्तিস্থल थे और उसी प्रकार अन्य क्षेत्रों में भी सराही गईं।

'चेम्मीन' की लोकप्रियता का रहस्य

'चेम्मीन' न केवल अपनी कहानी बल्कि अपने संस्कृति-निर्दिष्ट संगीत और विषय-वस्तु के लिए भी जानी जाती है। यह फिल्म मछुवारों के जीवन पर आधारित है और यह अपने समय की सामाजिक और सांस्कृतिक धारणाओं को चुनौती देती थी। यही कारण था कि इसे देश के कई हिस्सों में देखा गया और सराहा गया। दर्शकों ने इसके संगीत और मजबूत कथा के माध्यम से अपने आप को जोड़ कर देखा और इसमें अपने समाज की झलक पाई। ऐसे में कमल हासन का सवाल बिल्कुल सही मालूम पड़ता है।

युगों के पार मनोरंजन

अगर हम 'पैन-इंडिया' की बात करें तो वर्तमान समय में 'आरआरआर' और 'बाहुबली' का उदाहरण लिया जा सकता है। ये फिल्में विभिन्न भाषाओं में डब की गईं और भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी सफल रहीं। लेकिन हासन का मानना है कि फिल्म का पैन-इंडियन होना उसकी सफलता की गारंटी नहीं है। असली जादू फिल्म की कहानी, प्रदर्शन और उसकी भावनात्मक गहराई में होता है जो दर्शकों को प्रभावित करती है।

कमल हासन के पेशेवर पहल

पेशेवर मोर्चे पर, कमल हासन की हालिया फिल्म 'इंडियन 2', शंकर द्वारा निर्देशित, ने समीक्षा के रूप में मिश्रित प्रतिक्रियाएं प्राप्त कीं। हालांकि इसके एक्शन दृश्य प्रभावशाली थे, लेकिन कहानी आलोचकों को उतनी प्रभावित नहीं कर पाई। उनके अगली फिल्म 'थग लाइफ', जिसे मणि रत्नम निर्देशित कर रहे हैं, से उनके प्रशंसक बड़ी उम्मीदें लगाए हुए हैं।

कमल हासन का यह सावल भारतीय सिनेमा की चिंतनशीलता को दर्शाता है और दिखाता है कि राष्ट्रीय फिल्म का दर्जा पाने के लिए भाषा की सीमा नहीं होना चाहिए। 'चेम्मीन', उसकी सांस्कृतिक सतह, संगीत, और एक प्रभावशाली कहानी, भारतीय दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ चुकी है।