अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 1000+ छात्रों का भविष्य खतरे में, ED ने संस्थापक जवाद अहमद को गिरफ्तार किया

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में 1000+ छात्रों का भविष्य खतरे में, ED ने संस्थापक जवाद अहमद को गिरफ्तार किया नव॰, 23 2025

फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 1,000 से अधिक छात्रों का भविष्य अचानक धुंधला हो गया है। जवाद अहमद, यूनिवर्सिटी के संस्थापक, को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें 13 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसके साथ ही, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने यूनिवर्सिटी को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया — जिसका मतलब है कि इसकी शैक्षणिक मान्यता खतरे में है। ये सब तब हुआ, जब दिल्ली के लाल किले के पास कार विस्फोट के मामले में पकड़े गए कुछ आरोपी यहाँ के डॉक्टर निकले। अब वो छात्र, जिन्होंने नीट क्लियर करके इस यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की, डर रहे हैं कि कहीं उनकी डिग्री अवैध तो नहीं बन जाती।

अभिभावकों की आवाज़: "हमने सपना देखा, अब डर लग रहा है"

22 नवंबर 2025 को लगभग 400 अभिभावक अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट के सामने जमा हुए। उनके चेहरे पर गुस्सा नहीं, बल्कि टूटी हुई उम्मीद थी। एक अभिभावक ने कहा, "हमने लाखों रुपये खर्च किए, बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना देखा। अब जब वो अपना कोर्स पूरा करने वाला है, तो हमें डर है कि कहीं नौकरी के लिए इंटरव्यू में ये पूछ लें — ‘अल-फलाह?’ तो क्या जवाब दें?" ये बात सिर्फ एक अभिभावक की नहीं, बल्कि सैकड़ों की है।

यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाले छात्र भी चुप हैं। वो घर वालों को फोन करते हैं, लेकिन खुलकर कुछ नहीं बोलते। "हम डर रहे हैं," एक छात्र ने अनाम रूप से कहा, "अगर हम बात कर देंगे तो यूनिवर्सिटी हमें बाहर कर देगी। हमारा भविष्य तो इसी कॉलेज के नाम पर टिका हुआ है।" ये डर समझ में आता है — क्योंकि यहाँ का हर छात्र जानता है कि एमबीबीएस की डिग्री सिर्फ एक कागज़ नहीं, बल्कि जीवन बदलने का अवसर है।

ED की जांच: करोड़ों का भ्रष्टाचार, परिवार के लिए ठेके

ED के सूत्रों के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने करोड़ों रुपये कथित तौर पर अपने परिवार के सदस्यों की कंपनियों को हस्तांतरित किए। खानपान, निर्माण और आपूर्ति के ठेके सिद्दीकी परिवार की कंपनियों को दे दिए गए — जिनका कोई विशेष योग्यता नहीं थी, लेकिन उनका रिश्ता था। एक आंतरिक दस्तावेज़ में यह भी लिखा है कि यूनिवर्सिटी की आय का एक बड़ा हिस्सा नए भवनों के निर्माण के बजाय व्यक्तिगत खातों में जा रहा था।

ये सिर्फ वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि शिक्षा के नाम पर धोखा है। यूनिवर्सिटी ने अपनी वेबसाइट पर पुरानी NAAC मान्यता को "एक चूक" बताकर हटा दिया — जिसका मतलब है कि वो जानते थे कि उनकी मान्यता अवैध थी। अब NAAC की जांच चल रही है। लेकिन सवाल ये है: अगर एक यूनिवर्सिटी अपनी मान्यता झूठी दिखाती है, तो उसके छात्रों की डिग्री का क्या होगा?

प्रशासन का आश्वासन: "कोई संकट नहीं, क्लास चल रही है"

यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने अभिभावकों को आश्वासन दिया है कि "मान्यता को लेकर कोई संकट नहीं है"। उनका तर्क है कि दो साल पहले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने यहाँ की MBBS सीटें 150 से बढ़ाकर 200 कर दी थीं — जिससे ये लगता है कि सब कुछ ठीक है। लेकिन ये बात अजीब है। NMC की मान्यता आधारभूत शिक्षा मानकों पर आधारित होती है, न कि वित्तीय गड़बड़ियों पर। अगर ED की जांच में साबित हो जाए कि यूनिवर्सिटी ने धोखे से सीटें पाईं, तो NMC भी उन्हें रद्द कर सकता है।

प्रशासन ने कहा कि क्लास चल रही हैं, सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लेकिन अभिभावकों को ये बातें नहीं बचा रहीं। एक अभिभावक ने कहा, "हम चाहते हैं कि कोई सरकारी अधिकारी आए और हमें बताए — क्या हमारे बच्चे की डिग्री मान्य होगी? या हमें अपने बेटे को दोबारा नीट देने के लिए तैयार करना पड़ेगा?"

अन्य निकायों की जांच: NMC और AIU भी शामिल

ये सिर्फ ED और NAAC का मामला नहीं है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) भी इस मामले में जांच शुरू कर चुका है। इसके अलावा, NMC ने यूनिवर्सिटी के शिक्षण अनुभव, प्रोफेसरों की योग्यता और लैब सुविधाओं की भी जांच की है। अभी तक कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं आई, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कई प्रोफेसर अपनी नौकरियों के लिए चिंतित हैं। उन्होंने अभिभावकों से मुलाकात करके कहा — "हम भी इस यूनिवर्सिटी में काम करते हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि क्या हो रहा है।"

इसका मतलब है कि यूनिवर्सिटी के अंदर भी एक बड़ा भ्रम है। कुछ फैकल्टी सदस्य जानते हैं, कुछ नहीं। और जो जानते हैं, वो डरते हैं। इस तरह, एक शिक्षा संस्थान अब एक रहस्यों से भरा हुआ अंधेरा घर बन गया है।

क्या होगा अगले छह महीने में?

अगले छह महीने इस यूनिवर्सिटी के छात्रों के भविष्य का फैसला करेंगे। अगर NAAC या NMC ने मान्यता रद्द कर दी, तो ये छात्र डिग्री के लिए एक अलग यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकते हैं — लेकिन ये आसान नहीं है। अधिकांश अन्य यूनिवर्सिटियाँ नीट स्कोर के आधार पर दाखिला देती हैं, और अब तक कोई भी छात्र अपनी डिग्री को ट्रांसफर के लिए नहीं ले जा सकता।

ये मामला सिर्फ एक यूनिवर्सिटी का नहीं, बल्कि पूरे निजी चिकित्सा शिक्षा के प्रणाली के लिए एक चेतावनी है। अगर एक यूनिवर्सिटी इतनी आसानी से धोखा दे सकती है, तो कितनी और हैं जो ऐसा कर रही हैं? अभिभावकों का सवाल बहुत सीधा है: "हमने अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने के लिए जीवन बर्बाद किया। अब कौन हमें जवाब देगा?"

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की डिग्री अभी मान्य है?

अभी तक, NAAC और NMC ने कोई आधिकारिक रद्दगी नहीं की है, इसलिए डिग्री तकनीकी रूप से मान्य है। लेकिन ED की जांच चल रही है, और अगर वित्तीय भ्रष्टाचार साबित होता है, तो NMC डिग्री को रद्द कर सकता है। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की डिग्री के लिए आधिकारिक रूप से पुष्टि कराएं।

क्या छात्र अन्य यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर कर सकते हैं?

हाँ, लेकिन बहुत मुश्किल। अधिकांश यूनिवर्सिटियाँ नीट स्कोर के आधार पर दाखिला देती हैं, और एमबीबीएस में ट्रांसफर के लिए खाली सीटें बहुत कम होती हैं। अगर यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द होती है, तो छात्रों को नई बैच में दाखिला लेने के लिए दोबारा नीट देना पड़ सकता है — जो आर्थिक और मानसिक रूप से बहुत भारी होगा।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच क्या जांच रही है?

ED यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही है, खासकर यह देखने के लिए कि क्या लाखों रुपये सिद्दीकी परिवार की कंपनियों को अवैध रूप से ठेके देकर हस्तांतरित किए गए। ये आरोप धोखे, भ्रष्टाचार और फंड लॉन्ड्रिंग के तहत आते हैं। अगर साबित होता है, तो यह एक बड़ा शिक्षा भ्रष्टाचार मामला बन जाएगा।

क्या यूनिवर्सिटी बंद हो जाएगी?

अभी तक नहीं। यूनिवर्सिटी अभी भी क्लास चला रही है, लेकिन इसकी भविष्य की स्थिति अनिश्चित है। अगर NAAC मान्यता रद्द कर देता है या NMC एमबीबीएस पाठ्यक्रम को रद्द कर देता है, तो यूनिवर्सिटी का खुलना असंभव हो जाएगा। अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य के लिए तत्काल योजना बनानी चाहिए।

क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जानते थे कि ये अनियमितता है?

कुछ प्रोफेसर ने अभिभावकों से मुलाकात करके यह स्वीकार किया कि वे जानते थे कि निर्माण और आपूर्ति के ठेके अनियमित तरीके से दिए जा रहे हैं। लेकिन वे डरते हैं कि अगर वे बाहर बोलेंगे, तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ शिक्षक भी शिकार बन गए हैं।

अगर डिग्री रद्द हो जाए, तो छात्रों को क्या करना चाहिए?

अगर डिग्री रद्द होती है, तो छात्रों को तुरंत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) के संपर्क में आना चाहिए। उन्हें अपने अकादमिक रिकॉर्ड, प्रोग्रेस रिपोर्ट और परीक्षा परिणामों की एक प्रति तैयार रखनी चाहिए। उन्हें एक न्यायाधीश के सामने एक याचिका भी दायर करनी चाहिए — ताकि उनके भविष्य को बचाया जा सके।