एलन मस्क के चुनावी स्वेपस्टेक्स धोखाधड़ी पर मतदाताओं का मुकदमा: धोखाधड़ी के आरोप और लोकतंत्र की दांव पर लगी साख
नव॰, 6 2024कथित चुनावी धोखाधड़ी और मस्क पर लगे आरोप
अमेरिका में निकटस्थ चुनावों की दौड़ में एक नई उलझन ने तूल पकड़ लिया है। एलन मस्क, जिनकी प्रसिद्धि टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में सर्वोच्चतम है, अब राजनीतिक विवादों में घिर गए हैं। उनके $1 मिलियन प्रतिदिन चुनावी स्वेपस्टेक्स ने कई मतदाताओं को आकर्षित किया था, लेकिन अब यही आकर्षण मस्क के लिए समस्या बन गया है। मतदाता इनाम की उम्मीद से प्रभावित हुए और उन्होंने अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा की। लेकिन यह जानकारी कैसे और किसके लिए उपयोग की जा रही थी, यह स्पष्ट नहीं था।
मुकदमों की मौजूदा स्थिति
एरिज़ोना की जैकलीन मकैर्फटी ने एक मुकदमा दाखिल किया जिसमें उन्होंने यह दावा किया कि उन्होंने कभी अमेरिका पीएसी की याचिका पर हस्ताक्षर नहीं किए होते और अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी होती, अगर उन्हें पता होता कि विजेता यादृच्छिक आधार पर नहीं चुने जा रहे हैं। यह याचिका ऑस्टिन, टेक्सास में दाखिल की गई है और मकैर्फटी ने मस्क और पीएसी से उनकी जानकारी नष्ट करने का आदेश मांगा है। मुकदमे में यह भी दावा किया गया है कि विजेताओं को डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों के रूप में चुना जा रहा था।
विभिन्न राज्यों से उठी आवाजें
मिशिगन के रॉबर्ट एंथनी अल्वारेज़ ने भी ऐसा ही एक मुकदमा दाखिल किया है। वह खुद को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के समर्थक बताते हैं, और उन्होंने फ्री स्पीच और गन राइट्स का समर्थन करने के लिए अपनी आवाज़ उठाई थी। मगर उन्होंने भी यही पाया कि पुरस्कार पाने वालों में केवल रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक या डोनाल्ड ट्रम्प के वफादार शामिल थे।
न्यायालय में दलीलें और मस्क के पक्ष की प्रतिक्रियाएँ
फिलाडेल्फिया में एक न्यायाधीश ने हाल ही में आयोजन को बंद करने की कोशिश पर बढ़ती दलीलों का सामना किया। फिलाडेल्फिया डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी लैरी क्रासनर ने दावा किया कि यह एक 'अवैध लॉटरी' थी जो उपभोक्ताओं को धोखे में डाल रही थी। उनके अनुसार, आयोजकों ने स्वेपस्टेक्स को एक गैर-पक्षपाती आयोजन बताया था, जबकि विजेताओं का चयन वास्तव में टारगेटेड और पूर्व निर्धारित था।
प्रमुख मुद्दे और निष्कर्ष
मामले ने जनता और मीडिया का पूरा ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि इससे न केवल मस्क की प्रतिष्ठा पर बल्कि चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। यह मुद्दा सामान्य जनता के साथ-साथ कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। लोगों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए धोखे में डालने और राजनीति के लिहाज से उपयोग करने की ये घटना लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार करती है। ऐसी स्थिति में लोगों का विश्वास जीतना अब चुनौतीपूर्ण होगा।