झारखंड विधानसभा में जीत के बाद हेमंत सोरेन सरकार को मिली विश्वास मत की मंजूरी
जुल॰, 9 2024झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन की सरकार को मिला विश्वास मत का समर्थन
झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)-कांग्रेस-राजद (आरजेडी) गठबंधन सरकार ने विश्वास मत के दौरान अपने पक्ष में बहुमत प्राप्त किया है। यह मतदान विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) द्वारा वॉकआउट के बीच हुआ। इस महत्वपूर्ण वोटिंग का आयोजन 81 सदस्यीय विधानसभा में किया गया, जिसकी मौजूदा ताकत 76 सदस्य है।
मतदान के दौरान कुल 45 विधायकों ने हेमंत सोरेन सरकार के पक्ष में मतदान किया। इनमें नामांकित सदस्य ग्लेन जोसेफ गलस्टन भी शामिल थे। इस सफलतापूर्वक सत्र ने हेमंत सोरेन सरकार को और अधिक सशक्त किया है और उनके नेतृतृत्व में गठबंधन सरकार ने संविधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्यकाल को बढ़ाया।
विपक्ष का आरोप और राजनीतिक खींचतान
वोटिंग के बाद राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी नेता अमर बाउरी ने आरोप लगाया कि जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन सरकार ने पिछले पांच सालों में एक भी वादा पूरा नहीं किया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के इस जवाब में जेएमएम ने अपने विधायक लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी से निकाल दिया और बिशुनपुर के विधायक चमरा लिन्डा को निलंबित कर दिया।
बीजेपी ने इसका विरोध किया। बीजेपी की विधानसभा में ताकत घटकर 24 रह गई है, क्योंकि उसके दो विधायक अब सांसद हैं। वहीं, मंडू विधायक जयप्रकाश भई पटेल को कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया।
भविष्य की राजनीति और अगला कदम
झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। विश्वास मत के बाद, झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में 11 नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन भी शामिल थे।
इस ताजा विकास ने राज्य में राजनीतिक भूचाल ला दिया है और अब सभी की नजरें आगामी विधानसभा चुनावों पर हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को यह देखना होगा कि वह अपने चुनावी वादों को कैसे पूरा करता है और जनता का समर्थन कैसे प्राप्त करता है। विपक्षी दल भी अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटे हुए हैं ताकि विश्वास मत के इस परिणाम का प्रभाव आगामी चुनावों पर न पड़ सके। राज्य की राजनीति में यह महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
अब देखना यह है कि हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली सरकार अपने वादों को लेकर कितना भरोसा कायम कर पाती है और जनता का विश्वास कैसे जीत पाती है। इन सभी महत्वपूर्ण विकासों और राजनीतिक खींचतान के बीच झारखंड की जनता अपनी आवाज को बुलंद करना चाहेगी और आने वाले चुनावों में अपने मताधिकार का सही इस्तेमाल करना चाहेगी।
राजनीतिक दलों की रणनीतियां और जनहित कार्य
राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों को अमल में लाने की योजना बनाई है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने विकास के जितने वादे किए थे, उन्हें पूरा करने की दिशा में अपने कदम तेज कर दिए हैं। हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने सही तरीके से शासन करने की कोशिश की है और अब भी कर रही है। गठबंधन सरकार ने सभी विधायकों और जनता का धन्यवाद दिया और विश्वास दिलाया कि वे जनता की आकांक्षाओं पर खरे उतरेंगे।
बीजेपी और आजसू ने जब सरकार की आलोचना की और उनके वादों को पूरा न करने के आरोप लगाए, तो सत्तारूढ़ गठबंधन ने गंभीरता से जवाब दिया कि विपक्ष हमेशा की तरह दोषारोपण की राजनीति में निमग्न है। विपक्ष के इन आरोपों और आलोचनाओं का सामना करने के लिए सत्तारूढ़ दल ने अपने प्रशासनिक कार्यों को और सशक्त करने का संकल्प लिया है।
ध्यान देने की बात यह है कि अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, सभी दल अपने-अपने स्तर पर जनहित के कार्यों को तेजी से अंजाम देने की कोशिश करेंगे ताकि जनता का विश्वास और मतदान हासिल कर सकें।
निष्कर्ष: झारखंड की राजनीति का महत्वपूर्ण चरण
यह विश्वास मत और राजनीतिक घटनाक्रम झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण दर्शक, विश्लेषक और जनता सभी इस स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। क्या हेमंत सोरेन की सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगी? क्या विपक्ष अपने आरोपों को साबित कर पाएगा? यह सब आने वाले महीनों की राजनीति और घटनाओं पर निर्भर करेगा।
झारखंड की जनता इस समय राजनीतिक उथल-पुथल को बड़े गौर से देख रही है और अपने भविष्य के बारे में चिंतित है। हमेशा की तरह, वादों और आरोपों के बीच सच की जीत जरूर होगी और वो ही सच जनता को भी साफ नजर आएगा।