ITR फ़ाइलिंग – क्या चाहिए, कब फाइल करें?
जब हम ITR फ़ाइलिंग, आयकर रिटर्न को ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करने की प्रक्रिया. इसे अक्सर टैक्स रिटर्न कहा जाता है। भारत में हर करदाता को हर वित्तीय वर्ष के बाद इसे पूरा करना पड़ता है, नहीं तो आयकर विभाग के पास से नोटिस आ सकता है। इस टैग पेज पर आप देखेंगे कि कैसे सही समय पर फाइल करना, कौन‑से फॉर्म भरें और देर से फाइल करने पर जुर्माना कैसे बचें।
ITR फ़ाइलिंग के पीछे दो प्रमुख इकाइयाँ काम करती हैं। पहला है आयकर विभाग, भारत सरकार की कर संग्रहण और निगरानी करने वाली संस्था। दूसरा है इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग, आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन रिटर्न जमा करने की सुविधा। बुनियादी रूप से विभाग नियम स्थापित करता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग वही नियमों को डिजिटल रूप में लागू करती है, जिससे समय बचता है और एप्लिकेशन त्रुटियाँ घटती हैं।
मुख्य बातें जो हर करदाता को जाननी चाहिए
पहला सवाल अक्सर आता है – टैक्स डेडलाइन कब होती है? आयकर विभाग ने हर वर्ष की वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल‑31 मार्च) के बाद अगले साल की 31 जुलाई को मुख्य डेडलाइन रखी है। अगर आपका फॉर्म 31 जुलाई तक जमा नहीं होता, तो ध्यान रखें कि अलग‑अलग आयकर स्लैब और सच्ची आय के हिसाब से डेडलाइन बदल सकती है, जैसे कि तीसरे तिमाही में देखना पड़ता है।
देर से फाइल करने पर जुर्माने की बात आती है। आयकर विभाग दो प्रकार का जुर्माना लगाता है – अस्थायी (बिल्ड‑अप) और स्थायी (ऐडिशनल)। अगर आप 31 जुलाई के बाद 30 दिनों के भीतर फाइल करते हैं, तो 5 % जुर्माना लगता है, और यदि 30 दिन से अधिक देर हो जाती है तो 10 % तक बढ़ सकता है। ये प्रतिशत आपके कुल टैक्स देनदारी पर लागू होता है, न कि फॉर्म फीस पर। इसलिए समय पर फाइल करना न सिर्फ क़ानूनी है बल्कि आर्थिक भी है।
अब बात करते हैं कि ITR फ़ाइलिंग वास्तव में कैसे की जाती है। सबसे पहले आपको अपने आयकर रिटर्न फॉर्म, इन्कम टैक्स एक्ट के तहत उपलब्ध विभिन्न फॉर्म (जैसे ITR‑1, ITR‑2, ITR‑3 आदि) चुनना होगा। फॉर्म का चयन आपकी आय के स्रोत, निवेश और आयु वर्ग पर निर्भर करता है। फिर आप अपने बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म‑16, फॉर्म‑26AS जैसी दस्तावेज़ एकत्र करके पोर्टल पर अपलोड करेंगे। पोर्टल पर वैधता जाँच के बाद, पब्लिक की वेरिफ़िकेशन (OTP, डिजिटल सिग्नेचर या एडीटीए) से फॉर्म को सबमिट कर दें।
आपकी फाइलिंग को आसान बनाने के लिए कई टूल्स और मोबाइल ऐप्स भी उपलब्ध हैं। इन टूल्स में अक्सर बिल्ट‑इन कैलकुलेटर होते हैं जो आपके टैक्सेबल इनकम, बचत, और छूट की गणना तुरंत दिखाते हैं। इससे आप अपने टैक्स प्लानिंग को बेहतर बना सकते हैं और अंत में कम टैक्स देनदारी या रिफंड के लिए तैयार हो जाते हैं। याद रखें, सही टैक्स प्लानिंग सिर्फ बचत नहीं, बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्य हासिल करने का रास्ता भी है।
सारांश में, ITR फ़ाइलिंग एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें आयकर विभाग का नियम, टैक्स डेडलाइन, इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग और फॉर्म का चयन मुख्य घटक हैं। अब आप जानते हैं क्या क्या देखना है, कब देखना है और कैसे देखना है। नीचे आप पाएँगे विभिन्न लेखों की लिस्ट – जैसे डेडलाइन अपडेट, जुर्माने की रणनीति, ई‑फ़ाइलिंग गाइड और अधिक, जो आपके टैक्स जीवन को आसान बनाएंगे।
2025 ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन बढ़ाने की माँगें तेज़: करदाताओं की चिंता का पूरा कारण
आयकर रिटर्न (ITR) फ़ाइलिंग के लिए 2025‑26 वर्ष का डेडलाइन कई बार बढ़ा, जिससे करदाता परेशान. फॉर्म में बड़े बदलाव, पोर्टल की खामियां और TDS क्रेडिट समय‑सारिणी प्रमुख कारण रहे. अब आधिकारिक डेडलाइन 16 सेप्टेम्बर बीत चुकी है, और देर से दाखिल करने वालों पर जुर्माना लगेगा। कर पेशेवर अभी भी अतिरिक्त राहत की माँग कर रहे हैं।