टैरिफ वृद्धि: कैसे बदल रही है भारत और दुनिया की व्यापार नीतियाँ
जब कोई देश टैरिफ वृद्धि, किसी वस्तु के आयात पर लगाया जाने वाला शुल्क बढ़ाना करता है, तो ये सिर्फ एक नंबर नहीं होता — ये एक बड़ा फैसला होता है। जैसे डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिकी राष्ट्रपति और व्यापार नीति के निर्माता ने H-1B वीज़ा के लिए $100,000 का फीस लगाया, तो ये भारतीय टेक कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका बन गया। ये टैरिफ वृद्धि सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि भारत के निर्यातकों, आयातकों और शेयर बाजार के लिए भी एक नया खेल बन गई।
इसी तरह, रूसी-भारतीय व्यापार, दो देशों के बीच आयात-निर्यात का बदलता संबंध भी टैरिफ वृद्धि के दबाव में आ गया। रूस के नेता पुतिन ने भारत के साथ व्यापार असंतुलन सुधारने के लिए कृषि और फार्मा उत्पादों के आयात बढ़ाने का फैसला किया। ये फैसला न सिर्फ भारतीय किसानों के लिए नया बाजार खोल रहा है, बल्कि टैरिफ वृद्धि के बाद भी भारत को अपनी आर्थिक स्वतंत्रता बनाए रखने का रास्ता दिखा रहा है। जब अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत के रिलायंस और आईसीआईसीआई बैंक जैसे कंपनियों के शेयर भी उथल-पुथल में आ जाते हैं।
टैरिफ वृद्धि का मतलब सिर्फ अधिक शुल्क नहीं — ये बदलाव बाजार के नियम, आपूर्ति श्रृंखला और लोगों के जीवन को छू जाता है। जब एक देश अपने बाजार को सुरक्षित करने के लिए टैरिफ बढ़ाता है, तो दूसरा देश उसके खिलाफ अपना टैरिफ बढ़ाता है। ये चक्र अंततः उन चीजों पर असर डालता है जिन्हें हम रोज़ खरीदते हैं — ऑटो पार्ट्स, दवाएँ, यहाँ तक कि घरेलू उपकरण भी।
इस लिस्ट में आपको ऐसे ही असली कहानियाँ मिलेंगी — जहाँ टैरिफ वृद्धि ने क्रिकेट के मैदान से लेकर शेयर बाजार तक का रंग बदल दिया है। आप देखेंगे कि कैसे अमेरिकी नीतियाँ भारतीय बैंकों के शेयरों को झुका रही हैं, और कैसे रूस के आयात निर्णय भारतीय किसानों के लिए नया अवसर बन रहे हैं। ये सब कुछ एक ही शब्द से जुड़ा है: टैरिफ वृद्धि।
रिलायंस जिओ ने दाम बढ़ाए: 3 जुलाई से नए प्रीपेड और पोस्टपेड प्लान लागू
रिलायंस जिओ ने 3 जुलाई से प्रभावी होने वाली 12-25% की टैरिफ वृद्धि की घोषणा की है। सबसे सक्रिय 28 दिनों की वैधता वाले प्लान में 1.5 जीबी डेटा प्रतिदिन के लिए सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई है। विश्लेषकों ने इसे भविष्य की वृद्घि की दिशा में एक अच्छा कदम बताया है। इससे कंपनी को लाभ होगा।