21 अगस्त को भारत बंद: क्यों और किसने बुलाया?

21 अगस्त को भारत बंद: क्यों और किसने बुलाया? अग॰, 20 2024

भारत बंद: न्यायपालिका के फैसले के विरोध में राष्ट्रव्यापी आह्वान

Reservation Bachao Sangharsh Samiti ने 21 अगस्त, 2024 को एक देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। यह अभियान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में है जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के भीतर उप-श्रेणियाँ बनाने की अनुमति दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय 1 अगस्त को आया था और इसमें कहा गया था कि जिन लोगों को वाकई आरक्षण की आवश्यकता है, उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस बंद का उद्देश्य इस अदालत के आदेश को वापस लेने की मांग करना है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय?

1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजातियों के भीतर उप-श्रेणियाँ बनाने की अनुमति दी गई। यह फैसला उन लोगों को आरक्षण का अधिक लाभ पहुंचाने के विचार से लिया गया जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है। कोर्ट के इस निर्णय ने व्यापक बहस छेड़ दी है क्योंकि इससे आरक्षण का पुराना ढांचा प्रभावित होता है। इस निर्णय के बाद, कई संगठनों और समूहों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया है।

प्रदर्शन के कारण और उद्देश्य

Reservation Bachao Sangharsh Samiti का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आरक्षित वर्गों के भीतर भेदभाव बढ़ सकता है और असमानता का माहौल बन सकता है। संगठन का कहना है कि यह फैसला आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। इस निर्णय के विरोध में राष्ट्रव्यापी बंद आहूत किया गया है।

आवश्यक सेवाएँ रहेंगी चालू

इस भारत बंद के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे कि आपातकालीन सेवाएं, एम्बुलेंस सेवाएं, अस्पताल और चिकित्सा सेवाएं चालू रहेंगी। इसके अलावा, दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फार्मेसियाँ भी खुली रहेंगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल और कॉलेज बंद में शामिल नहीं होंगे और सामान्य रूप से कार्य करते रहेंगे।

सरकारी तैयारियाँ और सावधानियाँ

वरिष्ठ संबंधी अधिकारियों ने बंद की तैयारियों का आकलन करने और संभावित हिंसा से बचने के लिए एक बैठक की। इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में सभी मंडलायुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उपस्थित थे। सभी को निर्देशित किया गया है कि वे बंद के दौरान सतर्क रहें और शांति बनाए रखें।

समाज की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और इसके विरोध में आहूत बंद पर समाज की राय विभाजित है। कुछ लोग अदालत के निर्णय का समर्थन करते हैं और इसे आवश्यक सुधार मानते हैं, वहीं अन्य लोग इसे आरक्षण के मूल सिद्धांतों के खिलाफ मानते हैं।

आगे की राह

यह देखा जाना बाकी है कि बंद के बाद स्थिति कैसी रहती है और क्या सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करता है। लेकिन यह मामला अब देशभर में चर्चा का केंद्र बन चुका है और आने वाले समय में आरक्षण नीति में और भी बदलाव आने की संभावना है।