डरजीलिंग में भारी बारिश से लैंडस्लाइड: 20 मौतें, कई लोग गायब
अक्तू॰, 5 2025
जब उदयन घुहा, उत्तरी बंगाल विकास मंत्री ने रविवार को बताया कि लैंडस्लाइड से 20 लोगों की मौत हो गई है, तो पूरे उत्तर‑बंगाल में शोक का माहौल छा गया। इस त्रासदी का केंद्र डरजीलिंग और मिरिक पहाड़ी क्षेत्रों में हुआ भारी बारिश था, जिसने कई गांवों को मिट्टी के पहाड़ों में बदल दिया।
मौसम की स्थिति और पूर्व चेतावनी
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से 5 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल के उप‑हिमालयी भाग में अत्यधिक बारिश का लाल अलर्ट जारी कर दिया था। आधी रात से शुरू हुई निरंतर तेज़ वर्षा ने धरती को नमी से भर दिया, और पहाड़ों की ढलाई में दरारें पड़ना स्वाभाविक था। कई मौसम विज्ञानी पहले ही चेतावनी दे रहे थे कि पहाड़ी क्षेत्रों में संभावित लैंडस्लाइड का खतरा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस बात को पूरी ताकत से नहीं उठाया।
लैंडस्लाइड का विस्तार और घायल‑मृतकों की सूची
न्यूज़ एजेंसियों के अनुसार, लैंडस्लाइड का पहला बड़ा धक्का मिरिक के सर्साली गाँव में आया, जहाँ लगभग 11 लोगों की मृत्यु हुई। इसके बाद जस्बीरगांव, मिरिक बस्ती, धर गांव (मेची) और नगरकटा में भी कई घर ध्वस्त हो गए। दरजीलिंग उप‑प्रशासनिक अधिकारी रिचर्ड लेपचा, डरजीलिंग उप‑प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि अकेले ही सात लोग इस हिस्से में मारे गए और सात और घायल रह गए, जिन्हें अभी बचाया गया। कुल मिलाकर, आधिकारिक आंकड़े 20 मृतकों के हैं, लेकिन कई परिवार आज भी अपने बचे हुए सदस्यों को खोजने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
रोकथाम और बचाव कार्य
लैंडस्लाइड के बाद तुरंत राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने इलाके में प्रवेश किया। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक 11 लोगों को मिरिक में बचाया गया है, जबकि सात घायल लोगों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता दी गई। पुलिस, जिला प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद से बिखरे हुए खंडहरों को साफ़ करने, अटकलें हटाने और बचाव के लिए हवाई‑सहायता भी तैनात की गई। हालांकि, लगातार बारिश के कारण कई सड़कों का कटाव हो गया, जिससे रेडियो और मोबाइल नेटवर्क भी कई जगह बंद हो गया। यह सब मिलकर बचाव कार्य को और कठिन बना रहा।
पर्यटन पर अप्रत्याशित असर
डरजीलिंग और मिरिक पहाड़ी पर्यटन के लिए तोहफ़ा हैं— सुगंधित चाय बाग़, तेज़ धूप वाले ट्रैक्स और सर्दियों में बर्फ़ीली हवाएं। इस समय, कई बकेट‑लिस्ट वाले पर्यटक इस क्षेत्र में फंसे हुए हैं। जैसा कि स्थानीय होटल मालिक ने बताया, “हमें पहले ही दो‑तीन घंटे में 200 से अधिक मेहमानों का इंतजार है, लेकिन अब रास्ता बंद हो गया, बथौरा‑टैक्सी नहीं चल रही, और लोग फंसे हुए हैं।” कई लोगों ने नजदीकी शहरों में शरण ली, जबकि कुछ ने राफ़्टिंग‑ट्रेकिंग ऑपरेटरों के साथ मिलकर राहत शिविर स्थापित किए। इस दौर में, स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर देखना अनिवार्य है— रेस्टोरेंट बंद, गाइडों की आय रुक गई, और बुनियादी सामान की कीमतें भी बढ़ गईं।
आगे क्या उम्मीद की जाए?
IMD ने अगले दो दिनों में भी ‘लाल अलर्ट’ जारी रहने की चेतावनी दी है। इसका मतलब है कि बारिश की तीव्रता में गिरावट नहीं आएगी और नए लैंडस्लाइड का जोखिम बना रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक की तैयारी में अंतरिक्ष‑आधारित मॉनिटरिंग, स्थानीय चेतावनी प्रणाली और सामुदायिक जागरूकता को और मजबूत करना जरूरी है। उत्तर‑बंगाल सरकार ने कहा है कि भविष्य में पहाड़ी क्षेत्रों में बंजर‑बोर्डर वाले गांवों को पुनःस्थापित करने के लिए “सुरक्षित बस्ती योजना” शुरू की जाएगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या फंसे हुए पर्यटक अब सुरक्षित निकल पाएंगे?
स्थानीय प्रशासन और NDRF ने कहा है कि वे अगले 48 घंटों में सभी फँसे यात्रियों को सड़क और हेलिकॉप्टर के माध्यम से निकालेंगे, लेकिन लगातार बारिश के कारण कुछ रास्ते अभी बंद हैं, इसलिए निरोध के साथ काम चल रहा है।
लैंडस्लाइड से प्रभावित गाँवों में बुनियादी सुविधाएँ कब फिर से चलेंगी?
डरजीलिंग उप‑प्रशासनिक अधिकारी रिचर्ड लेपचा का कहना है कि प्राथमिक बिजली और पानी की आपूर्ति अगले सप्ताह के भीतर बहाल होगी, लेकिन संचार और स्वास्थ्य सेवाएँ अभी भी अस्थायी शिविरों पर निर्भर रहेंगी।
क्या फिर से ऐसी बड़ी वर्षा हो सकती है?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया है कि इस मौसम में उप‑हिमालयी क्षेत्र में ‘लाल अलर्ट’ जारी रहेगा, यानी अत्यधिक बारिश के साथ तेज़ हवाओं की भी संभावना है, इसलिए आगे भी सतर्कता बरतनी जरूरी है।
सरकार की दीर्घकालिक रोकथाम योजना क्या है?
उदयन घुहा ने कहा है कि भविष्य में पहाड़ी क्षेत्रों में ‘सुरक्षित बस्ती योजना’ लागू की जाएगी, जिसमें बंजर‑बोर्डर वाले गाँवों को स्थायी ढाँचे में पुनर्स्थापित करना, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करना और जल‑विसाइलता प्रबंधन को सुदृढ़ करना शामिल है।
पर्यावरणीय क्षति की पुनर्स्थापना कब तक होगी?
विज्ञानियों के अनुसार, वन‑पुर्नरोपण और भूमि स्थिरीकरण के कार्यों को पूरा करने में कम से कम दो साल लग सकते हैं, क्योंकि भू‑गर्भीय परिवर्तन और जल‑स्रोत के पुनर्संतुलन में समय लगना स्वाभाविक है।
Ayan Kumar
अक्तूबर 5, 2025 AT 21:34भाई, यह सुनते ही दिल धड़का! डरजीलिंग में आज-कल की सबसे बड़ी आपदा देखी, 20 लोग खो गए और कई गायब। बरसात ने तो जैसे धरती को फटते हुए देखा, पहाड़ों ने भी अब रोना शुरू कर दिया। मौसम विभाग की चेतावनी को नजरअंदाज़ करने का परिणाम यही है। अब हम सबको मिलकर राहत कार्य में हाथ बंटाना चाहिए, नहीं तो इस तरह की त्रासदी दोहराई जा सकती है।
आशा है कि जल्द ही सभी लापता लोगों को पाया जाएगा।
Nitin Jadvav
अक्तूबर 8, 2025 AT 05:07ओह, क्या बात है, फिर से वही दिखा! लेकिन चलो, हम सब मिलकर इस “फैशन शो” को रोकेंगे-जैसे ही पानी रुकता है, हम भी हाथ बंटाएंगे। तुमने सही कहा, टीमवर्क से ही बचाव में फर्क पड़ता है।
Arun kumar Chinnadhurai
अक्तूबर 11, 2025 AT 16:27भाई लोग, एक जरूरी बात बताने की ज़रूरत है-IMD ने पहले ही लाल अलर्ट जारी कर दिया था, पर स्थानीय प्रशासन ने पर्याप्त कार्रवाई नहीं की। ऐसी स्थितियों में, गाँवों को जल्दी से एम्बुलेंस और बचाव टीमों की तैनाती करनी चाहिए। साथ ही, फुलन बिंदु की मॉनिटरिंग के लिए ड्रोन का इस्तेमाल भी फायदेमंद रहेगा। यदि हर गाँव में सामुदायिक चेतावनी प्रणाली स्थापित हो जाए, तो कई जान बच सकती हैं। चलिए, हम सब मिलकर इस दिशा में सुझाव दे सकते हैं।
Aayush Sarda
अक्तूबर 14, 2025 AT 00:00यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का सीधा परिणाम है। उत्तर‑बंगाल सरकार को तुरंत सभी बंजर‑बोर्डर वाले गाँवों को सुरक्षित बस्ती योजना के तहत पुनर्स्थापित करना चाहिए। साथ ही, घातक पहाड़ी भू‑सुनामी को रोकने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सटीक जियो‑इंजीनियरिंग उपाय लागू करने चाहिए। यह सिर्फ राज्य की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का फर्ज है कि ऐसे संकट को दोहराने न पाए।
Mohit Gupta
अक्तूबर 17, 2025 AT 11:20बेटा... ये हवाएँ... ये बारिश... दिल तो डूब रहा है!
देखो कितना दर्द है इस धरती में, कौन सुन रहा है?
Varun Dang
अक्तूबर 19, 2025 AT 18:54अरे भाई, उदास मत हो! हम सब मिलकर इस बाधा को पार करेंगे। नवीनीकृत बुनियादी ढांचे से फिर से सब ठीक हो जाएगा।
Stavya Sharma
अक्तूबर 23, 2025 AT 06:14इस त्रासदी को देखते हुए स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन ने पूर्व चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया। यह लापरवाही केवल अक्षम्य है और जिम्मेदारियों की निष्पादन में भारी गिरावट दर्शाती है। आगे से इस तरह की लापरवाही को रोकने हेतु सख्त निगरानी और दायित्व तय किया जाना चाहिए।
chaitra makam
अक्तूबर 25, 2025 AT 13:47हमें सबको साथ मिलकर मदद करनी चाहिए, ताकि बचाव टीमें आसानी से काम कर सकें। गांव वाले भी सहयोग दें।
Amit Agnihotri
अक्तूबर 29, 2025 AT 01:07ऐसी चुप्पी फिर नहीं चलनी चाहिए।