ITR फाइलिंग डेडलाइन विवाद: आयकर विभाग ने 15 सितंबर को अंतिम तिथि की पुष्टि

ITR फाइलिंग डेडलाइन पर आधिकारिक फैसला
आयकर लागू करने वाली शाखा, यानी सेंटरल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT), ने पहले जुलाई 31 सेप्टेम्बर 15 तक ITR फाइलिंग की समय सीमा को बढ़ाया था। इसका कारण था नया टैक्स फॉर्म, जो तकनीकी जटिलताओं के कारण विकास और टेस्टिंग में अतिरिक्त समय माँगता था। साथ ही, TDS स्टेटमेंट्स 31 मे तक जमा होने के बाद सिर्फ जून की शुरुआत में सिस्टम में परिलक्षित होते हैं, जिससे करदाता के पास फाइलिंग का छोटा ही समय बचता था।
सेप्टेम्बर 15 के करीब, सोशल मीडिया पर धुलाई तेज हो गई। कई लोग कहते थे कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण अंतिम तिथि 30 सितंबर तक बढ़ा दी जाएगी। लेकिन आयकर विभाग ने तुरंत इन अफवाहों को ‘फेक न्यूज’ कहकर खारिज कर दिया। विभाग के आधिकारिक ट्विटर और फेसबुक पेज पर लिखा गया कि ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 ही रहेगी, और कोई अतिरिक्त विस्तार नहीं होगा। कुछ स्रोतों ने 16 सितंबर का जिक्र किया, पर यह केवल सिस्टम में छोटे‑छोटे समायोजन के कारण था, न कि वास्तविक देय तिथि में बदलाव।

विभिन्न करदाताओं के लिए अलग‑अलग अंतिम तिथियां और दंड
डिपार्टमेंट ने बताया कि सामान्य व्यक्तियों और बिना ऑडिट वाले एचयूएफ़ को 16 सितंबर तक फाइल करना है। ऑडिट वाले व्यवसायियों को 31 अक्टूबर, और ट्रांसफ़र प्राइसिंग रीकॉर्ट चाहिए वाले को 30 नवंबर तक समय मिलेगा। इसके अलावा, विभाग ने 24‑घंटे हेल्पडेस्क की व्यवस्था की है—कॉल, लाइव चैट, WebEx और सोशल मीडिया के माध्यम से।
अगर करदाता नियत तिथि तक नहीं फाइल करता, तो सेक्शन 234F के तहत 5,000 रुपये तक का लेट फ़ाइलिंग फ़ी सिर पर आ जाता है, जब आय 5 लाख से ऊपर हो। साथ ही सेक्शन 234A के तहत 1 % प्रति माह का ब्याज भी लगना शुरू हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि देर से फाइलिंग करने पर करदाता को पुराने टैक्स रेगिम (पुराने कर नियम) का विकल्प नहीं मिलता। यह विकल्प केवल मूल फाइलिंग में ही चुन सकते हैं। इसलिए कई लोग, जो पुराने रेगिम की छूटों से फायदा उठा सकते थे, उन्हें उच्च टैक्स का सामना करना पड़ सकता है।