लद्दाख में जेन‑ज़ी विरोध में हिंसा: 4 मौत, 80 से अधिक घायल

प्रस्तावना
दिसंबर 2023 के अंत में लद्दाख के पहाड़ी इलाकों में एक शांतिपूर्ण हंगर स्ट्राइक शुरू हुआ, जिसका नेतृत्व विख्यात जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने किया। उनका मुख्य दावा था: लद्दाख को संघीय राज्य का दर्जा, छठा अनुक्रम (Sixth Schedule) संरक्षण, नौकरियों में आरक्षण और अलग संसद प्रतिनिधित्व। इन बिंदुओं को लेकर उन्होंने 10 सितंबर को उपवास शुरू किया और शुरुआती दिनों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही बना रहा।
हालाँकि, 24 सितंबर को 72‑वर्षीया अंगुक और 60‑वर्षीया ताशी डोल्मा, दो वरिष्ठ उपवासकर्ता गिर गए और नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराए गए। उनका इस तरह गिरना युवा वर्ग में गहरी असंतुष्टि के भड़कावे का कारण बना।
गिरने वाले वरिष्ठों की खबर से लद्दाख के विभिन्न शहरों में युवा वर्ग ने तुरंत रैली की भावना को अपनाया और लेह के मार्टियर्स ग्राउंड में पूरी तरह से बंद कर दिया गया, जिससे कलह का माहौल गरम हो गया।
परिणाम व प्रतिक्रिया
रात के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय, राज्य सरकार की इमारतें और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय सहित कई सरकारी सेवाओं पर प्रहार किया। गड्ढों में फेंकी गई चक्की, पत्थर और धातु की छड़ें संघर्ष को भयावह बना गईं। इस बीच, पुलिस ने निरोधात्मक कार्रवाई की, जिससे नायाबसैनिक और प्रदर्शनकारियों दोनों में चोटें आईं। आधिकारिक आंकड़े दर्शाते हैं कि चार युवा (उम्र 19, 20, 23 और 46 वर्ष) इस संघर्ष में गले ढह गए, जबकि 80 से अधिक नागरिक और 40 पुलिसकर्मी घायल हुए।
विपरीत वर्गों ने इस घटना को लेकर विभिन्न राय व्यक्त की। कुछ ने कहा कि यह लद्दाख की असंतुष्टि का एक गंभीर संकेत है, जबकि कुछ ने यह बताया कि बाहरी राजनैतिक संस्थाओं ने युवाओं को भड़काने की कोशिश की। लद्दाख के मुख्यमंत्री ने तुरंत कर्फ्यू लागू किया और स्थिति को शांत करने के लिये विशेष कमिटी का गठन किया।
कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की अपील में, कई सामाजिक संगठनों ने संवाद मंच की मांग की, जिससे सरकार व जनता के बीच वैध संवाद स्थापित हो सके। साथ ही, राष्ट्रीय अदालत में लद्दाख के राज्यत्व का मामला भी दायर किया गया है, जो आगे की कानूनी प्रक्रिया को दर्शाता है।
संदेह यह नहीं रहा कि लद्दाख की भू-राजनीतिक स्थिति और सांस्कृतिक विविधता को देखते हुए इस तरह की आवाज़ों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वर्तमान में, लद्दाख में शांति बहाल करने के लिये विभिन्न स्तरीय चर्चा चल रही है, जबकि पहाड़ी इलाकों में दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।