चुनाव धोखाधड़ी: भारत में चुनावों की पारदर्शिता और उसकी चुनौतियाँ
जब बात आती है चुनाव धोखाधड़ी, किसी चुनाव में अनुचित तरीके से मतदान या परिणाम बदलने का प्रयास. इसे चुनाव घुटने टेकना भी कहते हैं, जो लोकतंत्र की आत्मा को नुकसान पहुँचाता है। भारत में, जहाँ हर पाँच साल में दुनिया का सबसे बड़ा मतदान होता है, ये चुनौतियाँ सिर्फ़ अफवाह नहीं, बल्कि वास्तविक समस्याएँ हैं।
एक बार ये बात सामने आ जाती है कि किसी ने ईवीएम में दखल दिया, या वोटर लिस्ट में नाम जोड़ दिए गए, तो लोगों का विश्वास झुक जाता है। ईवीएम, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, जो भारत में चुनावों का आधार बन गई है ने बॉल्ट और बैग को खत्म कर दिया, लेकिन इसकी सुरक्षा के बारे में सवाल अभी भी बने हुए हैं। निर्वाचन आयोग, भारत का चुनावों का निगरानी करने वाला स्वतंत्र निकाय हर साल नए तरीके अपनाता है—जैसे वोटर वेरिफिकेशन, वोटर लिस्ट अपडेट, और बैलोटिंग ट्रैकिंग। फिर भी, कुछ जगहों पर वोटर फ्रॉड, किसी व्यक्ति के नाम पर एक से ज्यादा वोट डालना अभी भी होता है।
क्या आपने सुना है कि किसी ने बूथ पर चलकर अपने नाम के बजाय किसी और का वोट डाल दिया? या किसी ने वोटर लिस्ट में नाम जोड़ दिया, जो असल में नहीं रहता? ऐसे मामले अक्सर छोटे इलाकों में होते हैं, जहाँ निगरानी कम होती है। लेकिन जब ये मामले बड़े हो जाते हैं, तो चुनाव रद्द भी हो जाते हैं। आखिरकार, चुनाव धोखाधड़ी का मतलब सिर्फ़ एक व्यक्ति का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे गाँव, जिले या राज्य के लोगों का अधिकार छीन लेना होता है।
इस लिस्ट में आपको ऐसे ही मामले मिलेंगे—जहाँ चुनावों के नियम टूटे, जहाँ लोगों ने अपना अधिकार बचाने की कोशिश की, और जहाँ निर्वाचन आयोग ने नए नियम बनाए। कुछ मामले चुनाव धोखाधड़ी के बारे में हैं, तो कुछ चुनावों के असली असर के बारे में। ये सब आपको बताएंगे कि लोकतंत्र कैसे चलता है, और कैसे उसे बचाया जाता है।
एलन मस्क के चुनावी स्वेपस्टेक्स धोखाधड़ी पर मतदाताओं का मुकदमा: धोखाधड़ी के आरोप और लोकतंत्र की दांव पर लगी साख
एलन मस्क द्वारा आयोजित $1 मिलियन प्रति दिन स्वेपस्टेक्स के प्रतिभागियों ने उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया है, कथित तौप पर मतदाताओं को धोखा देने का आरोप लगाते हुए। आरोप है कि विजेताओं का चयन यादृच्छिक रूप से नहीं किया गया था। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि उनका निजी डेटा बिना पारदर्शिता के उपयोग किया गया, और उन्हें किसी इनाम की उम्मीद के बिना जानकारी सौंपी गई।