भारत ने आयातुल्लाह खामेनेई की भारतीय मुस्लिमों पर टिप्पणी की निंदा की
सित॰, 17 2024भारत ने आयातुल्लाह खामेनेई की टिप्पणी की कड़ी निंदा की
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने 16 सितंबर, 2024 को ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई द्वारा भारतीय मुस्लिमों के कथित कष्टों पर की गई टिप्पणी की कड़ी शब्दों में निंदा की है। खामेनेई ने पैगंबर मोहम्मद की जयंती के अवसर पर भारतीय मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ म्यांमार और गाजा के मुसलमानों के कष्टों पर चर्चा की थी। खामेनेई ने अपने पोस्ट में कहा था, 'हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते अगर हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य स्थान पर मुसलमानों के कष्टों से अनजान रहें।'
MEA का जवाब
MEA ने खामेनेई की टिप्पणियों को 'गलत और अस्वीकार्य' बताते हुए एक बयान जारी किया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि 'दूसरों पर टिप्पणी करने से पहले देशों को अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए।' इस बयान में यह स्पष्ट किया गया कि भारत अपनी अल्पसंख्यक नीतियों पर बाहरी आलोचना को सहन नहीं करेगा।
MEA के प्रवक्ता ने कहा, 'कुछ लोग जो भारत की अल्पसंख्यक नीतियों की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें अपने देश की मानवाधिकार इतिहास पर भी गौर करना चाहिए।' इस संदर्भ में, भारत ने विशेष रूप से ईरान को इशारा किया, जिस देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन और महिलाओं के खिलाफ जुल्म की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं।
ईरान में जारी तनाव
खामेनेई की यह टिप्पणी उस समय आई जब ईरान में हजारों महिला प्रदर्शनकारी बिना हिजाब के महसा अमिनी की दूसरी पुण्यतिथि के अवसर पर सड़कों पर उतरीं। महसा अमिनी, जो 22 वर्ष की थी, की 2022 में उस समय मौत हो गई थी जब उसे 'हिजाब न पहनने' के आरोप में ईरानी नैतिकता पुलिस ने हिरासत में लिया था।
इसी दौरान, भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत रहने के बावजूद, इन हालात में इस तरह का बयान आना कई सवाल खड़े करता है। भारत के लिए ईरान का चाबहार बंदरगाह रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, और दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध काफी मजबूत रहे हैं।
भारत का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अधिकार
खामेनेई के बयान पर भारत की प्रतिक्रिया यह साफ दर्शाती है कि विदेश नीति में भारत कोई भी अपमान नहीं सहेगा और अपनी संप्रभुता और प्रतिष्ठा के मामले में सख्त रुख अपनाएगा। MEA का यह बयान इस बात की तस्दीक है कि भारत अपने आंतरिक मामलों पर विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।
MEA ने इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी उठाने के संकेत दिए हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि भारत की ओर से कोई भी अपमानजनक टिप्पणी स्वीकार नहीं की जाएगी। MEA ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर ईरान की गतिविधियों पर भी टिप्पणी की है, जिसमें ईरान में मानवाधिकारों का उल्लंघन और विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे शामिल हैं।
भारत का यह दृढ़ रुख दिखाता है कि वह अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता के मामले में किसी भी प्रकार की बाहरी आलोचना पर सख्त प्रतिक्रिया देगा। MEA ने यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
भारत की मुस्लिम समुदाय पर स्थिति
भारत में मुस्लिम समुदाय की स्थिति परिछराए हुए बयान और आलोचनाएं अक्सर आती रही हैं, लेकिन इस मामले में भारत ने यह साफ कर दिया है कि ऐसी टिप्पणियाँ गलत सूचना और पूर्वाग्रह पर आधारित हैं।
भारत सरकार ने समर्थनों पर जोर देते हुए कहा कि देश में सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर दिए जाते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। विभिन्न सरकारी योजनाएँ और पहल मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए चलाई जाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो कि सभी को समान अवसर मिले।
मुस्लिम समुदाय के बारे में आरोप
खामेनेई की टिप्पणी के बाद आई MEA की प्रतिक्रिया यह साफ दर्शाती है कि भारत किसी भी प्रकार की बाहरी आलोचना को हल्के में नहीं लेगा। MEA ने कहा कि 'हमारे देश में सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए जाते हैं और हम किसी भी प्रकार की असमानता के खिलाफ है।'
MEP की यह भी कड़ी प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में कोई भी विदेशी हस्तक्षेप नहीं सहेगा और हमेशा अपने सप्रभुता और प्रतिष्ठा की रक्षा करेगा। इस मामले में एक महत्वपूर्ण संदेश यह भी है कि किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
MEA ने यह भी कहा कि दूसरे देशों को भारत की स्थिति पर टिप्पणी करने से पहले अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड की भी जाँच करनी चाहिए। इस संदर्भ में, भारत ने विशेष रूप से ईरान को इशारा किया, जहाँ मानवाधिकारों का उल्लंघन और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाएँ आम हैं।
भारत की आंतरिक शांति का द्रढ़ संदेश
इस पूरे प्रकरण में भारत ने अपनी आंतरिक शांति और सद्भावना को बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया है। MEA के प्रवक्ता ने कहा कि 'भारत में रहने वाले सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर दिए जाते हैं, और हम किसी भी प्रकार की असमानता या भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
खामेनेई की टिप्पणी के जवाब में भारत की मजबूत प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि देश की सरकार अपने नागरिकों के पक्ष में खड़ी है और किसी भी प्रकार की विदेशी आलोचना या हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगी।